नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए आध्यात्मिक और पवित्र माना जाता है।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप:
माँ शैलपुत्री, नवरात्रि के पहले दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे राजा हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए इन्हें "शैलपुत्री" कहा जाता है। माँ का वाहन नंदी (बैल) है, और उनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल होता है।
महत्व:
माँ शैलपुत्री को सत्वगुण की देवी माना जाता है, जो भक्तों को धैर्य, साहस और शक्ति प्रदान करती हैं।
उनकी पूजा से मूलाधार चक्र जाग्रत होता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा सक्रिय होती है।
माँ शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता, मनोबल और सकारात्मकता आती है।
पूजा विधि:
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
कलश स्थापना करें और उसमें जल भरकर देवी की प्रतिमा के सामने रखें।
माँ शैलपुत्री को सफेद पुष्प अर्पित करें और गाय के घी का दीप जलाएं।
"ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
प्रसाद के रूप में गाय के घी से बने पकवान अर्पित करें।
इस दिन का रंग:
पहले नवरात्रि का रंग पीला या सफेद होता है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
माँ शैलपुत्री की कृपा से सभी भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति हो!
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