तुम घर क्यों नही जाते हो ✍️
कुछ अपना हो तो सुनाओ।
कोई कहानी हो तो लाओ।।
क्यों बेकार की रील्स पर मुस्कुराते हो ?
एक कमरे में रहते हो
तुम घर क्यों नही जाते हो ?
क्या भरा पूरा परिवार तुम्हें अच्छा नही लगता ?
क्या अपनों का प्यार तुम्हें अच्छा नही लगता ?
क्यों छोड़कर अपनी गली
एहसासों को आजमाते हो ?
एक कमरे में रहते हो
तुम घर क्यों नही जाते हो ?
वहां भी सब्जियां ताजी हरी मिलेंगी।
मां और दादी के साथ दुपहरी मिलेगी।।
क्यों खिड़की से झांक कर भीड़ निहारते हो ?
एक कमरे में रहते हो
तुम घर क्यों नही जाते हो ?
सुना है शहर में भी उमस बढ़ गई है।
गरमी अपने चरम पर चढ़ गई है।।
कुछ फुरसत के पल हैं अपने गांव में।
आओ बैठो कुछ वक्त आम की छांव में।।
क्यों अपनी अभिलाषा दबाते हो?
एक कमरे में रहते हो
तुम घर क्यों नही जाते हो ?
सुबह के निकले रात को आते हो।
जीते हो जीवन या बस समय बिताते हो?
मन नही जिसमे तुम्हारा वही बात खुद को
समझाते हो।
एक कमरे में रहते हो
तुम घर क्यों नही जाते हो ?
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