बीत गए जो किस्सा बनकर
बीत गए जो किस्सा बनकर
उस पलछिन की बात बड़ी है ।
रीत गए जो परिणामों में
उस मेहनत की जात खड़ी है ।
आने वाला है उजियारा
बोल रहा धुंधला अंधियारा ।
गीत सुहाने इस जीवन के
साँसें गाये पी अंगारा ।
सपनों के भी आगे जाकर
एहसासों की रात चढ़ी है ।
रीत गए जो परिणामों में
उस मेहनत की जात खड़ी है ।
ऊपर-नीचे बाँयें-दाँयें
इधर-उधर से हिम्मत लेकर ।
ईमानी चौखट की खातिर
जो बन पाया कीमत देकर ।
बंजर दिल को सींच सींचकर
नव अंकुर की आस बढ़ी है ।
रीत गए जो परिणामों में
उस मेहनत की जात खड़ी है ।
Writing BY :- Er Durga Nand Yadav
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