घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है। पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही है और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है। आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों। जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले। जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है और अंदर ही अंदर रोता रहता है। जानते हैं भारतीय समाज अपनी बेटियों को लेकर इतना संवेदन शील क्यों है ?? भारतीय इतिहास में हर्षवर्धन के बाद तक अर्थात सातवीं आठवीं शताब्दी तक बसन्तोत्सव मनाए जाने के प्रमाण मौजूद हैं। बसन्तोत्सव बसन्त के दिनों में एक महीने का उत्सव था, जिसमें विवाह योग्य युवक युवतियाँ अपनी इच्छा से जीवनसाथी चुनती थीं और समाज उसे पूरी प्रतिष्ठा के साथ मान्यता देता था। आश्चर्यजनक है ना आज उसी देश में कुछ गांवों की पंचायतें जो प्रेम करने पर कथित रूप से मृत्यु दण्ड तक दे देती थी, पता है क्यों ?? इस क्यों का उत्तर भी उसी इतिहास में है। वो ये कि भारत पर आक्रमण करने...